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अधिकमास / मलमास

मलमास ,हिन्दू धर्म का एक ऐसा महीना जब सभी शुभ धार्मिक कार्यों की मनाही होती है ,ये ऐसा समय होता है जब आने वाले त्योहारों की तिथि कुछ दिनों के लिए आगे बढ़ जाती है ,ध्यान दीजियेगा इस बार रक्षाबंधनदीपावली ये  त्यौहार पिछले साल की अपेक्षा इस साल देर से मनाये जायेंगे

भारतीय दर्शन में समय का बहुत महत्तव है ,भारतीय दर्शन में "सूर्य सिद्धांत" जैसे ग्रंथों ने सूर्य और पृथ्वी के चलायमान सम्बन्धो को सटीक अनुमान और वर्णन यूरोप के वैज्ञानिको से कई सौ साल पहले कर लिया थाइसी आधार पर भारतीय संस्कृत में दो तरह के वर्ष प्रचलित है "सौर वर्ष" और "चंद्र वर्ष"

सौर वर्ष - हिन्दू  Astrology के अनुसार 12 राशियाँ होती है और सूर्य के एक राशि से दूरी राशि में जाना "संक्रांति" कहलाता है और इसे सौर मास कहते है - इस तरह एक वर्ष में 12 सौर मास होते है और  365.2422 दिन होते हैं

चंद्र मास -एक चन्द्रमास वो समय है जो एक पूर्ण चन्द्र से उसके अगले पूर्ण चन्द्र तक के बीच होता है। यानि एक शुक्ल प्रतिपदा से आरम्भ होकर अमावस्या को पूर्ण होना एक चंद्रमास है जिसकी गड़ना के अनुसार एक चंद्र वर्ष  में 354.3670 होते है

इस प्रकार दोनों  calculations में 11 दिन क अंतर होता है 

यही 11 दिन तीन वर्षो में जोड़ कर एक "अधिक मास" (मलमास) बना दिया जाता है ताकि समय का संतुलन औरपृथ्वी चद्रमा और सूर्य का चलायमान सम्बन्धो की सटीक संतुलन जाना जाए ऋतुओं जो के सौर वर्ष के अनुसार होती है और त्यौहार जो की चंद्र वर्ष के अनुसार होते है उनका सही समय जाना जाए 

क्यों नहीं करते है कोई शुभकार्य इस महीने में -

हिन्दू धर्म में सभी शुभ और धार्मिक कार्यों के लिए एक-एक देवता की नियुक्ति की गयी है जो उस अमुक कार्य का देवता होता है और प्रत्येक माह का प्रतिनिधत्व करता है इस प्रकार देवताओं के पास वैसे ही work-load ज्यादा था ,इस बढे हुए work-load के कारण किसी ने भी इस अतिरिक्त  माह की जिम्मेदारी नहीं लीतब ऋषि मुनियो के आवाह्न पर,भगवन विष्णु ने इस महीने को स्वयं का नाम दिया इसी कारण इसे "पुरषोत्तम मास" का नाम भी दिया गया,चूँकि किसी देवता विशेष को इस कार्य के लिए नियुक्त नहीं किया गया जिनकी उपस्थिति किसी भी शुभ कार्य के लिए अनिवार्य है अतः इस विशेष महीने में किसी भी शुभ कार्य के मनाही है तथा भगवन विष्णु की पूजा और आराधना करने का सुझाव दिया गया

शुभ कार्य न होने के कारण इस मास को मलिन मास कहा गया जिसे आम भाषा में मलमास कहा गया

कहानी ये भी है की - राक्षसराज हिरण्यकश्यप ने ब्रह्मा जी से वरदान माँगा था की मैं मेरी मृत्यु 12 मासो के किसी भी मास में न हो इसलिए भगवन विष्णु ने उसका वध इस अतिरिक्त 13 महीने में किया

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