"Sense of History- "कल का इतिहास आज का भविष्य"

  Episode 2ND:1857 की क्रांति में बहराइच बलरामपुर श्रावस्ती गोंडा के सपूतों का योगदान , 

इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए ,इस भाग में बात करते हैं एक और नायक की

गोंडा के राजा देवी बक्श सिंह


राजा  देवी बक्श सिंह एक विशाल व्यक्तित्व और मजबूत शरीर के धनी और अजनबाहु भी थे ,कहते हैं बचपन में एक बार नवाब लखनऊ के दरबार में  एक बिगड़ैल घोड़े "सब्ज" को उन्होंने वश में कर लिया था तब से बेगम मलिका किश्वरजहाँ ने उन्हें अपने गोद में बिठाया और मात्र स्नेह दिया जिस वजह से उनका लगाव नवाब दरबार से हमेशा बना रहा और १८५७ की क्रांति के समय वो बेगम हज़रात महल के सहायक के तौर पर बहराइच, बलरामपुर, गोंडा में  संगठन मजबूत करने में अहम् भूमिका निभायी तथा प्रत्येक बैठक के मुख्य किरदार रहे

कहा जाता है की अंग्रेजों ने देवी बक्स सिंह को रानी के साथ छोड़ने के बदले में उनका राज्य जब्त नहीं किया जायेगा ऐसा प्रलोभन दिया था, लेकिन उन्होंने कहा की शरीर रहते वो अपने माँ का साथ नहीं छोड़ेंगे अंततः 4 मार्च 1857 को राजा साहेब ने २२००० सैनिको के साथ  युद्ध की कमान संभाली और दो अलग अलग अंगेज सेनापतियों ,रोक्राफ्ट & सर होप ग्रांट के साथ बेलवा और नवाबगंज में युद्ध किया जिसमे उनकी बहादुरी की सराहना अंग्रेज अफसरों ने भी की, आधुनिक हथियार और योजनाबद्द होने के कारण अग्रजो ने लगभग 21000 सैनिको को मार डाला, लेकिन राजा और उनके बचे सैनिक 1859 तक अंग्रेजो से बारम्बार लोहा  लेते रहे और कभी हार न मानी और न कभी अंग्रेजो के हाथ लगे

ऐसा कहा जाता की गोंडा के बाद के राजा जो पांडे वंश के थे, राजा साहेब के यहाँ रसद विभाग के मुखिया थे लकिन उन्होंने विश्वासघात किया और युद्ध के समय सात दिन तक सैनिको को राशन नहीं मिला जिससे सैनिकों का मनोबल टूट गया, पांडे राजा अंत में अंग्रेज से जा मिले,यह जानकर राजा साहेब को बहुत दुःख हुआ और कहा की "जिस जगह अंग्रेजों का राज्य होगा वहां मैं पानी तक नहीं पीऊंगा" और शायद यही कारण रहा की वो अपनी एक पत्नी के साथ नेपाल चले गए जहाँ 8-10 साल बाद उनकी मृत्यु हो गयी और बाद में उनका राज्य अंग्रजो ने तीन  भागों में बाँट दिया एक गोंडा के पांडे दूसरा अयोध्या के राजा और तीसरा बलरामपुर के राजा को दे दिया

एक कहानी ये भी हैं की राजा साहेब नेपाल जाते समय अपनी दो पत्नियों को बलरामपुर के राजा के पास सुरक्षा की दृष्टि से पालकी से रवाना  कर दिया ,लेकिन बलरामपुर के राजा ने अंगेजो की इसकी सूचना दे दी जिस कारण अंग्रेजो ने दोनों रानियों को घेर लिया और दोनों रानियों ने अपने सतीत्व की रक्षा करते हुए जहर खा कर जान दे दिया , ऐसे भी किवंदन्ती है की उनमे से एक रानी ने मरते समय बलरामपुर के राजा को शाप दिया था की उनका वंश नहीं चलेगा (यह अंश मैंने अमृत लाल नगर के किताब ग़दर के फूल से लिया है)

राजा देबी बक्स सिंह का बलिदान आज भी गोंडा के इतिहास में अमर है ,आज भी कई जगह खुदाई में राजा देवी बक्स की सेना के हथियार गोंडा में मिलते है ,उनके राज्य की व्यवस्था और जनता के प्रति उनका सम्मान इस कविता से जाना जा सकता





साभार 
ग़दर के फूल - अमृत लाल नागर 
गोंडा के गौरव -राघवेंद्र तिवारी
Gazetteer of Gonda - British Government -1905 

By : Diwakarlala





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